भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव पर चंपारण सत्याग्रह स्वतंत्रता सेनानी

शहीद बतख मियां

भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव पर चंपारण सत्याग्रह स्वतंत्रता सेनानी बतख़ मियां अंसारी स्मृति दिवस पर आज दिनांक 6 दिसंबर 2021 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार में अमृत महोत्सव भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ पर चंपारण सत्याग्रह के महान स्वतंत्रता सेनानी बतख मियां अंसारी की 64 वी पुण्यतिथि पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें चंपारण सत्याग्रह के महान स्वतंत्रता सेनानी बत्तख मियां अंसारी स्मृति दिवस परअमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि 4 दिसंबर 1957 को बतख मियां अंसारी का निधन हुआ था उनका सारा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया.

भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव पर पुरे भारत मे जश्न मनाया जा रहा है, 1917 जब साउथ अफ़्रीक़ा से लौटने के बाद स्वतंत्रता सेनानी शेख़ गुलाब, पीर मोहम्मद मुनीश, शीतल राय और राजकुमार शुक्ल के आमंत्रण पर गांधीजी मौलाना मज़हरुल हक़, डॉ राजेन्द्र प्रसाद और अन्य लोगों के साथ अंग्रेजों के हाथों नीलहे किसानों की दुर्दशा का ज़ायज़ा लेने चंपारण के ज़िला मुख्यालय मोतिहारी आए थे। वार्ता के उद्देश्य से नील के खेतों के तत्कालीन अंग्रेज मैनेजर इरविन ने उन्हें रात्रि भोज पर आमंत्रित किया। तब बतख़ मियां अंसारी इरविन के रसोइया हुआ करते थे।

इरविन ने गांधी की हत्या के लिए बतख मियां को जहर मिला दूध का गिलास देने को कहा। बतख़ मियां ने दूध का ग्लास देते हुए गांधीजी और राजेन्द्र प्रसाद के कानों में यह बात बता दी। गांधी की जान तो बच गई लेकिन बतख़ मियां और उनके परिवार को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ी , बतख मियां अंसारी को बेरहमो से पीटा गया, सलाखों के पीछे डाल दिया गया और उनके छोटे से घर को ध्वस्त कर उसे कब्रिस्तान बना दिया गया।

देश की आज़ादी के बाद 1950 में नरकटियागंज एवं मोतिहारी यात्रा के क्रम में देश के पहले राष्ट्रपति बने डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने बतख मियां की खोज ख़बर ली और प्रशासन को उन्हें लगभग 57 एकड़ जमीन आबंटित करने का आदेश दिया।

बतख मियां की लाख भागदौड़ के बावजूद प्रशासनिक लाल फीता शाही के कारण वह जमीन उन्हें नहीं मिल सकी। निर्धनता की हालत में ही 4 दिसंबर 1957 में उन्होंने दम तोड़ दिया। बतख मियां के दो पोते – असलम अंसारी और ज़ाहिद अंसारी अभी दैनिक मज़दूरी करके जीवन-यापन कर रहे हैं।

 महात्मा गांधी के नेतृत्व में 16 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला एवं 17 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक राज हाई स्कूल में चंपारण जांच कमेटी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था,

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