भैरोगंज। वैश्विक स्तर से लेकर देशज स्तर पर सरकारों द्वारा प्रदूषण रहित समाज के लिए चाहे कितना भी प्रयास किया जा रहा हो लेकिन जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव नगण्य ही है । वैसे जिला व प्रखंड लेबल पर प्रशासनिक व सामाजिक प्रयास भी किये जा रहे हैं,लेकिन नतीजे की बात करें तो धीरे धीरे जिंदगियां कूड़े के ढेर पर बसर करने की तरफ बढ़ रहीं है । कुलमिलाकर तमाम सभी प्रयास बेअसर साबित हो रहे हैं ।
नगर निगम, परिषदों या नगर पंचायतों की बात दीगर है ,यहाँ कूड़े को नियंत्रित करने की कोशिशें वहाँ स्थापित इकाईयों द्वारा होती हैं। पर छोटे कस्बाई व ग्रामीण ईलाकों की हालत अत्यंत दयनीय होती जा रही हैं। लाख बंदिशों की बातों के बीच प्लास्टिक व पॉलीथिन ईत्यादि का बड़े पैमाने पर प्रचलन,बढ़ते प्रदूषण का बड़ा कारण है । जमीन पर लगातार इनका फैलता आयतन,भविष्य के लिए गहन चिंता का विषय तो है हीं ।
समय रहते इसके फैलाव पर समुचित संज्ञान नहीं लिया गया ,तो भविष्य में यह केवल मानव जाति ही नहीं वरन पूरे जैविक समुदाय पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ना स्वाभाविक है। लोगों में जागरूकता का अभाव इसका प्रमुख कारण है।
भविष्य के खतरे से अनजान ग्राम्य परिवेश के लोगों को अपनी सुविधाओं को प्राथमिकता देना और प्रदूषण के बड़े कारक प्लास्टिक व पालीथिन वगैरह का इस्तेमाल के बाद उनको सुनियोजित तौर पर ठिकाने नहीं लगाने के तौर तरीकों से समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। हालात देखकर ऐसा प्रतीत होता है के वर्तमान समाज अपने आने वाले पीढ़ियों को बंजर भूमि और प्रदूषित वातायन देने के लिए प्रतिबद्ध हो गया है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें