बेतिया सरकारी मेडिकल कॉलेजअस्पताल गंदगी के मामले में एक अनोखा अस्पताल बन गया है,यहां सफाई का कोई नामोनिशान नहीं है, चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
पूरे अस्पताल परिसर में मेडिकल कचरे फैले हुए दिखाई देते हैं,इसके साथ ही जलजमाव, कीचड़ युक्त पानी रहने के कारण रोगियों एवं उसके परिजनों को आवागमन करने में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है,मेडिकल कॉलेज 8:30 करोड़ की लागत से निर्माण हो रहा है,मगर सफाई व्यवस्था पर प्रतिमाह ₹5 लाख खर्च के बावजूद सफाई का नामोनिशान भी नहीं है, यह पैसा कहां खर्च होता है,इसका कोई हिसाब देखने सुनने वाला नहीं है।
अस्पताल प्रशासन भी मूकदर्शक बना रहता है,अस्पताल के अधीक्षक, उपाधीक्षक, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर,अस्पताल कर्मी कोई भी इस पर ध्यान नहीं देते हैं,और कान में तेल डालकर सोए हुए हैं।
परिसर में फैली गंदगी में मेडिकल कचरे, पट्टियां, प्लास्टर,सिरिंज, खाली बोतल,खूनी कपड़े आदि से दुर्गंध उठने के कारण संक्रमण का खतरा भी पैदा हो रहा है, बायोवेस्ट के निस्तारण के कोई उचित प्रबंध नहीं है,जिससे गंदगी का अंबार लगा रहता है, अस्पताल परिसर में,खुले में बिखरे मेडिकल वेस्ट कचरे के ढेर में आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है,जो कचरा इधर-उधर फैला देते हैं,कचरे से दुर्गंध निकलते रहता है ।
जिसके कारण अस्पताल में मरीज व उनके परिजन,ड्यूटी पर आने वाले डॉक्टर,नर्स व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को काफी परेशानी होती है, नाक पर रूमाल व गमछा रखकर उन्हें गुजरना पड़ता है, उन्हें हमेशा संक्रमित रहने का डर लगा रहता है।
कचरा चुनने वाला बच्चे को भी इसका संक्रमण का खतरा बना रहता है,कचरा बीनने वाले गरीब बच्चे व अन्य लोगों को भी अस्पताल परिसर में कचरा उठाते हुए देखा जाता है।
वह सामग्री के कारण कभी भी यह संक्रमण के चपेट में आ सकते हैं, डॉक्टर स्वय मानते हैं कि अस्पताल में निकलने वाली वेस्ट प्रोडक्ट, खराब खून पट्टी, सिरिंज, इंजेक्शन,तथा अन्य सामग्री लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं,इसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन उदासीन बना हुआ है।
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