स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था: 2 घंटे में भी नहीं पहुंची एंबुलेंस, प्राइवेट एंबुलेंस का लेना पड़ा सहारा

बेतिया : जीएमसीएच गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल बेतिया की है, जहां पर स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था को देखते हुए देखते बन रही है कहने को तो 850 करोड़ रुपया की हॉस्पिटल मगर व्यवस्था वह है जो कौड़ी के दाम में भी ना हो दवा से लेकर हर व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है बेतिया जीएमसीएच में दवा लेने एवं जांच कराने बाहर जाना होता है यहां तक की ऑपरेशन कराने भी बाहर ही जाना होगा बाहर हॉस्पिटल है कि बस अस्पताल में मिलता है तो केवल बेड.

ऐसा ही मामला आज फिर देखने को मिला है जहां नानोसती में एक्सीडेंट से दो युवक हुए थे गंभीर रूप से घायल चिकित्सक के द्वारा रेफर कर दिया गया रेफर के तुरंत बाद परिजन बुक किए सरकारी एंबुलेंस 102 कॉल सेंटर वाले बोले कि 5 मिनट में पहुंच जाएगा सरकारी एंबुलेंस लगभग 1 घंटे के बाद नहीं पहुंचने पर परिजन फिर से कॉल सेंटर पर कॉल करते हैं पूछे जाने पर कहा जाता है हॉस्पिटल परिसर के अंदर एंबुलेंस पड़ी है.

जीपीएस के द्वारा पता चल रहा है बता दे हॉस्पिटल परिसर के अंदर 6 एंबुलेंस सेवा में हैं जिसमें तीन खराब हो चुके हैं तीन रनिंग पोजीशन में है यह कॉल सेंटर से पता चला है लगभग 2 घंटे तक एंबुलेंस ना पहुंचने के बाद परिजन हार थक्कर प्राइवेट एंबुलेंस का सेवा लेने के लिए मजबूर हुए यही बात खत्म नहीं होती एंबुलेंस ड्राइवर का कहना है.

हॉस्पिटल परिषद में ही एंबुलेंस था मगर इमरजेंसी गेट पर आने के लिए हम शहर के बीचोबीच होकर आने के लिए मजबूर हैं क्योंकि यहां के प्रिंसिपल इमरजेंसी गेट के पास एंबुलेंस लगाने के लिए मना कर चुके हैं फिर हम क्या करें शहर की जाम की व्यवस्था ऐसी है कि हम लोग टाइम पर पहुंच नहीं पाते मगर कहीं ना कहीं तो झोल है प्राइवेट एंबुलेंस वालों का मेल है हॉस्पिटल परिसर के अंदर चार से पांच प्राइवेट एंबुलेंस मौजूद रहते हैं लेकिन सरकारी एंबुलेंस के लिए हॉस्पिटल परिसर में इमरजेंसी गेट के पास जगह नहीं है मरीज के परिजनों द्वारा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को भी एंबुलेंस के लिए फोन पर गुहार लगाई गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई अंततः रोते बिलखते परिजन लाचार स्थिति में लोगों से चंदा लेकर प्राइवेट एंबुलेंस से अपने मरीज को जान बचाने हेतु ले जाने पर मजबूर हुए.

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