बेतिया (भैरोगंज) | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शरू किया था । सपना था महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत का । गाँधी जी स्वच्छता के सबसे बड़े पैरोकार रहे थे । उनके सपनों को पंख तब लगा जब वर्ष 2014 में देश के इतिहास में पहली बार देश के पीएम मोदी स्वंय झाड़ू लेकर स्वच्छता अभियान का आगाज किया ।
कहते हैं के क़ृषि प्रधान भारत गाँवों का देश है ।इसलिये गाँवों को स्वच्छ करे बिना स्वच्छ भारत की कल्पना बेमानी है । गाँवों में खुले में शौच की मजबूरी थी। कुछ कुलीन वर्ग की बात छोड़ दे तो गाँवों की अधिकतर आबादी खुले में शौच के लिये अभिशप्त थी । सबसे बड़ी समस्या महिलाओं की रही है।
गंदगी के कारण बीमारियो के फैलने की संभावनाएं भी अधिक रहती हैं। इस बात को महसूस करते हुए ,स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायतों में भारी-भरकम राशि खर्च की गई है । वैसे परिवारों के लिए खुद का शौचालय बनाने के लिए आर्थिक मदद करी गई, जो सक्षम नहीं थे।वक़्त गुजरने के साथ फिर एक समय वह भी आया ,जब सिस्टम द्वारा पंचायतों और गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया । अब यह अलग बात है के विभिन्न स्थानों पर फैली कूड़े के ढेर और गंदगी,ओडीएफ की पोल खोल रहीं है। यकीन ना हो तो भैरोगंज-चौतरवा मुख्यमार्ग के इनाबरवा, भैरोगंज-बगहा मुख्य सड़क नड्डा-खेखरियाटोला, देउरवा गांवों आदि गाँवो से गुजरते रास्ते के दोनों किनारों पर फैले मानव-मल इस बात की तस्दीक चीखते हुए करते प्रतीत होते है ।
इन स्थानों से सुबह शाम गुजरना आसान नहीं है । यहाँ से निकलने वाले पैदल,साइकिल अथवा बाइकरों को बरबस एक असहनीय दुर्गंध का सामना करना होता है । इधर से निकलना किसी नरक से गुजरने से कम नही है ।
उपरोक्त परिस्थिति सिस्टम और उसके ओडीएफ के दावे पर सवाल बन कर खड़ा है ।
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