स्वतंत्रता सेनानी स्व. बिंदेश्वरी प्रसाद राव की 35 वीं पुण्यतिथि मनाई गई

बेतिया | चम्पारण के ख्यातिप्राप्त स्वतंत्रता सेनानी तथा कांग्रेस नेता स्व. बिंदेश्वरी प्रसाद राव ग्राम + पोस्ट लौकरिया , थाना बैरिया जिला पश्चिम चम्पारण के रहने वाले थे । उनके पिता का नाम स्व. रामाश्रय राव तथा माता का नाम प्रतिभा देवी था।  वे चार भाई थे । चंद्रदेव नारायण राव , राजा राव , बिंदेश्वरी प्रसाद राव और रामनारायण राव । उनका जन्म 1909 में हुआ था । मेरे घर पर 24 अप्रैल 1917 में चचेरे बाबा खेंहर राव के  साथ जब गांधी जी लौकरिया आए । तो उस समय उनकी उम्र 8 साल की थी। 

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गांधी जी के साथ राजेंद्र प्रसाद , आचार्य कृपलानी , ब्रजकिशोर बाबू अधिवक्ता भी थे। गांधी जी के सेवा टहल में अपने बड़े भाइयों के साथ वे लगे रहते थे। 

स्वतंत्रता सेनानी स्व. बिंदेश्वरी प्रसाद राव

गांधी जी को पानी की आवश्यकता महसूस कर वे पानी लेकर उनके सामने खड़े नजर आते थे। जिस पर गांधी जी ने कहा था की यह लड़का होनहार है। पूछते थे कि देश को आजादी दिलाओगे न। ढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगा कर गोरी चमड़ी वालों और बैरिया कोठी के मैनेजर मि. गेल द्वारा किसानों पर दमनात्मक कारवाइयों के किस्से सुन बदले की भावना से प्रेरित होकर अपने हम उम्र बच्चों की टोली बना कर गोरी चमड़ी वालों भारत छोड़ो के नारे लगाते थे । बैरिया कोठी मैनेजर मि. गेल के दमन और किसानों के कराहने की आवाज ने उनको अपने पढ़ाई के लक्ष्य से मुंह मोड़ कर अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध चल रहे लड़ाई से अपने को जोड़ने में लग गए । अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध   नौजवानों को संगठित कर गांवों में जुलूस निकालने , बैठकें करने तथा नारेबाजी के खिलाफ उनपर अंग्रेजों द्वारा किए गए केस व गिरफ्तारी से बचते हुए आजादी के आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए । अंतत: 10 . 2 . 1933 में उनकी प्रथम गिरफ्तारी हुई । जिसमें जेल की कठिन यातनाओं के बाद पिता रामाश्रय राव और कांग्रेस के प्रयास से 13 . 9 . 1933 को पटना और मोतिहारी जेल से रिहा होकर बाहर आए  । 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो गांधी के आह्वान पर 24 अगस्त 1942 को कांग्रेस द्वारा बेतिया में होने वाले प्रदर्शन के लिए लौकरियां और आस पास के गांवों से रोझा राउत , इंद्रासन राव , रामनारायण सिंह , रघुनी बैठा , जगन्नाथ पुरी सहित सैकड़ों नौयुवकों को लेकर बेतिया में अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रदर्शन में भाग लेने के लिए पहुंच गए ।

कोतवाली चौक स्थित कांग्रेस आश्रम से निकलने वाले जुलूस में जिले के कोने कोने से आजादी के मतवाले पहुंचने लगे । आजादी के जज्बों से लबरेज अंग्रेजों भारत छोड़ो , गोरी चमड़ी वालों वापस जाओ जैसे नारों के साथ जुलूस आगे बढ़ता गया । छोटा रमना पहुंचते हीं मुजफ्फरपुर से आए कमिश्नर पेक के आदेश से मशीनगन से गोलियां धाएं धाएं निकलने लगीं । देखते देखते 8 मतवालों ने शहादत दे दी । उसी में से एक जगन्नाथ पुरी जो लौकरिया के गोसाई जी का लड़का बिंदेश्वरी प्रसाद राव के साथ आया था । शहीद हो गया । बिंदेश्वरी प्रसाद राव के आंखों से ढलते आंसू , गमगीन चेहरे के अंदर आजादी की ज्योति जल रहा था । कुछ ही दिनों बाद बिंदेश्वरी प्रसाद राव की दूसरी गिरफ्तारी 29 . 10 . 1942  हो गई । 16 . 12  . 42 को पटना जेल स्थानांतरित कर दिया गया । तत्पश्चात 25 . 8 . 1943 को पुन: जेल से वापस रिहा हुए ।

इस तरह चार बार आजादी के लिए गिरफ्तारियां दी । वे गा कर सुनाते थे कि ...

मोरा चरखा के टूटे ना तान

चरखवा चालू रहे ।

महात्मा गांधी समधी बन बैठे 

जार्ज पंचम देले कन्यादान 

चरखवा चालू रहे । वीर जवाहर बने सोहबोलिया 

लार्ड इनविन बने उनके सार

चरखावा चालू रहे । 1947 में देश को मिली आजादी के बाद स्व. राव कांग्रेस की नीतियों को लोगों तक पहुंचाने का संवाहक बने रहे । वे आजीवन नौतन प्रखंड, फिर बैरिया प्रखण्ड के अध्यक्ष, चंपारण जिला कार्यकारिणी सदस्य बने रहे । 

वे बथना हाई स्कूल के संस्थापक अध्यक्ष रहे ।उसे मान्यता दिलाने के लिए शिक्षा मंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह, उप शिक्षा मंत्री गिरीश तिवारी उनके घर आकर फिर उच्च बिद्यालय बथना गए। उनके निकट सहयोगी पूर्व मुख्यमंत्री स्व. केदार पाण्डेय, पूर्व मंत्री नरसिंह बैठा, पूर्व मंत्री ललन शुक्ल आदि रहे।  वे अपनी पत्नी रामबदन देवी, स्वतंत्रता सेनानी रोझा राउत तथा बड़ी बेटी सावित्री देवी के साथ केदार धाम जा रहे थे । जहां गौरी कुण्ड में दिनांक 16  सितंबर 1987 को उनका हृदय गति रुक जाने से देहांत हो गई और स्थानीय डाक्टर और संतों के दबाव पर वहीं मुखाग्नि दी गई । जो हम सबसे बिछड़ गए। 

आज उनका कीर्तिशेष मात्र साथ रह गया है  उनके 35 वें पुण्यतिथि पर दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई ।

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