हाईकोर्ट से रोक के विरुद्ध नगर निगम सशक्त समिति की बैठक बुलाने पर 13 नगर पार्षदों ने खोला मोर्चा

बेतिया। पटना हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध नगर निगम के सशक्‍त स्‍थायी समिति की बैठक बुलाये जाने के विरोध में एक दर्जन से अधिक नगर पार्षदों ने नगर प्रशासन पर मोर्चा खोल लिया है। बुधवार 29 सितंबर को आहूत बैठक पर तत्काल रोक लगाने के लिये इन पार्षदों ने नगर आयुक्त को सामुहिक आवेदन सौंपा है। 

नगर निगम की निवर्त्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया, सशक्त स्थायी समिति सदस्य व वार्ड 22 की पार्षद शहनाज खातून, पूर्व सभापति जनक साह की पत्नी व वार्ड 2 की पार्षद कुमारी शीला, पूर्व उप सभापति आनन्द सिंह की पत्नी व वार्ड 11 की पार्षद सीमा देवी, मनोज कुमार, मधु देवी, प्रभा पांडेय, श्रीमती देवी, रीता रवि, कैसर जहां, शकीला खातून, जरीना सिद्दीकी व पार्षद दीपेश सिंह के द्वारा सामुहिक रूप से आवेदन देकर बैठक को पटना हाईकोर्ट की अवमानना ठहराने के साथ बिहार नगरपालिका अधिनियम के विहित प्रावधानों के तहत भी बुलाई गई बैठक को गैरकानूनी और सरकारी राशि की लूट और बंदरबांट के उद्देश्य से बुलाया जाना करार दिया है। 

यह आवेदन सोमवार को नगर आयुक्‍त लक्ष्मण प्रसाद के द्वारा जारी प्रत्रांक- 1947 को उच्‍च न्‍यायालय द्वारा एलपीए संख्या- 193/21में विगत 23 मार्च को पारित अंतरिम आदेश के विरुद्ध बताया है। पार्षदगण ने नगर आयुक्त को याद दिलाया है कि 29 सितंबर को सशक्त स्थायी समिति की बैठक के विचाराधीन प्रस्तावों में अनेक प्रस्ताव लाखों के खर्च पर विचार व स्वीकृति के लिये है।

उपरोक्त पार्षदगण ने कि नगर आयुक्त को सौंपे आवेदन के साथ हाईकोर्ट के आदेश की छायाप्रति संलंग्‍न करते हुये द्वारा स्मारित कराया है कि स्वयंभू कार्यकारी सभापति बने उप-सभापति मोहम्मद कयूम अंसारी के सभी वित्तीय शक्तियों पर रोक लगा दी है।

जबकि 29 को आहूत सशक्‍त स्‍थायी समिति की बैठक के लिए जो एजेण्‍डा तैयार किया गया है उसके प्रस्ताव संख्‍या- 01 से यह स्‍पष्‍ट है कि नगर निगम, बेतिया के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कोई बजट पास नही हुआ है। हम सभी पार्षद भी इस तथ्‍य से अवगत हैं कि नगर निगम बेतिया के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कोई बजट पास नही हुआ है, फिर भी आपस में पैसों की बंदरबांट के उद्देश्‍य से वर्तमान उप-सभापति कयूम अंसारी तथा पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा नगर परिषद की निधी का दुरूपयोग किया गया है तथा आगे इस निधि के दुरूपयोग की पृष्‍ठभूमि में ही इस बैठक की कार्ययोजना तैयार की गयी है। 

यह कृत्य नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 75 के प्रावधानों के अनुसार स्पष्टतया वित्तीय अनियमितता होगी। 

साझा आवेदन में यह भी बताया गया है कि किसी भी नगर निकाय का बजट नगरपालिका बोर्ड के द्वारा पारित होने के पश्‍चात अनुमोदन हेतु राज्‍य सरकार को भेजने का प्रावधान है। नगरपालिका अधिनियम के अनुसार तथा राज्‍य सरकार के अनुमोदन के उपरान्‍त ही बजट में किए गए प्रावधानों के आलोक में नगरपालिका निधि से पैसों की निकासी की जा सकती है। 

पार्षदगण ने अपने आवेदन में लिखा है कि बिना किसी स्वीकृत बजट के ही नगर निगम के करोड़ो की सरकारी राशि की निकासी उप-सभापति व नगर प्रशासक की मिली भगत में कर ली गयी है। जिसको हाईकोर्ट द्वारा गबन की श्रेणी में रखते हुये ही उप-सभापति की वित्तीय शक्तियों पर रोक लगा दी गयी है। 

आवेदन के माध्यम से उनका यह भी कहना है कि बिहार नगरपालिका अधिनियम में सशक्‍त स्‍थायी समिति कार्य संचालन नियमावली 2010 के प्रावधानों के अनुसार किसी भी नगरपालिका की सशक्‍त स्‍थायी समिति की बैठक का एकाधिकार समिति के अध्‍यक्ष में निहित है। परन्तु 29 सितंबर को आहूत बैठक की तिथि आपके द्वारा सशक्‍त स्‍थायी समिति के कुछ सदस्‍यों के अनुरोध पर निर्धारित कर दी गयी है। जिसमें लाखों की खर्च से सम्बंधित अनेक वित्तीय एजेण्‍डाओं को भी शामिल किया गया है। 

29 सितंबर को आहूत सशक्‍त स्‍थायी समिति की बैठक को रद्द करने का अनुरोध स्वीकार नहीं होने पर बाध्‍य होकर न्‍यायालय की अवमानना की याचिका का माननीय उच्‍च न्‍यायालय में दाखिल करने की चेतावनी पार्षदगण ने दी है।

टिप्पणियाँ