सरेया मन से मछली पकड़ने के रोजगार पर से प्रतिबंध हटाने को लेकर भाकपा माले और मछुआरों ने की बैठक!

मछुआरों के मछली पकड़ने के परंपरागत अधिकार पर रोक के खिलाफ अगस्त में होगा आंदोलन - भाकपा माले

सरेया मन में मछली पालन और पकड़ने के मछुआरों का परंपरागत अधिकार है इसपर रोक लगाने का मतलब है कि मछुआरों के जीविका पर रोक लगाना, यह वन अधिकार कानून 2006 का उल्लंघन है. भाकपा माले और मछुआ समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.

उक्त बातें बैरिया के तुमकड़िया पंचायत के लंगड़ा पीपल चबुतरा पर भाकपा माले और मछुआ समाज के प्रबुद्ध लोगों की बैठक को संबोधित करते हुए भाकपा माले नेता सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि बीस साल से मछली पालन और पकड़ने के मछुआरों के परंपरागत अधिकार को सरकार ने रोक लगा दिया है, जिसके वज़ह से करीब पांच हजार मछुआरा परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गई है.

माले नेता ने बताया कि सरकार के गलत निर्णय के वजह से सरेया मन का स्वरूप भी बदलने लगा है।मन में ऐसे-ऐसे खर पतवार उगने लगे हैं जिससे उनके अस्तित्व कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगा.

उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के दौर में सरेया मन का पानी जो पाचक के रूप में अंग्रेजों की कोठियों से लेकर लंदन में महारानी के महलों तक जाता था, यहां के राजे रजवाड़ों तक में इस्तेमाल होता था. 

उन्होंने कहा भाजपा-जदयू शासन में मछुआरे इनके वोट बैंक बने रहे. मछुआरों के वोट ले पुर्व मंत्री रामचंद्र सहनी से लेकर मुकेश सहनी तक सरकार में मंत्री बने, लेकिन किसी ने मछुआरों के पीड़ा को समझने की कोशिश तक नहीं किया है, ऐसे में हमारे सामने संगठीत हो संघर्ष करने के सिवा अब कोई रास्ता नहीं बचा है, इसलिए ऐतिहासिक अगस्त महीने में मछुआरों के साथ भाकपा माले आंदोलन करने का फैसला किया है.

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उक्त अवसर पर मछुआ समुदाय के तुलसी चौधरी ने कहा कि मछुआरों को अब वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने वालों को सबक सिखाना पड़ेगा.

माले नेता जोखू चौधरी ने कहा भाजपा-जदयू सरकार में रोजगार देने के बजाय छीनने की प्रवृत्ति है। अपने रोजगार और बच्चों की भविष्य के लिए संगठित होकर संघर्ष करना होगा.

बैठक में बागड़ महतो, किशोरी राम, मोहन राम ,कंचन राम, राजू चौधरी, सुरेंद्र चौधरी, रमेश चौधरी दिनेश चौधरी परमा चौधरी, दिनेश चौधरी, महमूद आलम आदि उपस्थित थे।

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