कोविड दौर में मारे गए सभी मृतकों को 4 लाख का मुआवजा दे सरकार-कुणाल

स्वास्थ्य सिस्टम को ठीक करने को लेकर आंदोलन तेज़ करेगा भाकपा-माले

बेतिया: राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए स्वस्थ बिहार–हमारा अधिकार नाम से एक दीर्घकालिक आंदोलन चलाया जाएगा। इसकी शुरुआत आगामी 1 जुलाई को जूम पर जनसम्मेलन के जरिए की जाएगी. इसे पार्टी महासचिव का दीपंकर भट्टाचार्य सहित कई गणमान्य लोग संबंधित करेंगें उक्त बात भाकपा-माले जिला स्थाई समिति की बैठक को संबोधित करते हुए भाकपा-माले राज्य सचिव कामरेड कुणाल ने कहीं, आगे कहा कि कोविड से मृतक अपनों की याद, हर मौत को गिनें–हर गम को बांटें अभियान के तहत आगामी 27 जून को गाँव - गाँव में माले नेता व कार्यकर्ता श्रध्दांजलि देने का कार्यक्रम का आयोजन करेंगे और श्रध्दांजलि देगेंं.

आगे कहा कि मृतक परिजनों को 4 लाख रु. मुआवजा से केंद्र सरकार का इंकार बेहद निंदनीय है. कोविड व लाॅकडाउन से बड़ी आपदा और कुछ नहीं हो सकती है. अभी जब लाखों लोगों का रोजगार खत्म हो गया है, सरकार को तत्परता से सभी मृतक परिजनों को यह मुआवजा देना चाहिए. हमारी मांग है कि कोविड काल में मारे गए सभी मृतक परिजनों को यह मुआवजा मिलना चाहिए. सरकार काॅरपोरेट घरानों पर टैक्स लगाकर इस मुआवजे की व्यवस्था करे. माले पिडित परिवारों के तरफ़ से आवेदन पत्र भर कर सरकार मुआवजा की मांग करेगी, सरकार मुआवजा नहीं दिया तो धारावाहिक आंदोलन किया जाएगा.

भाकपा-माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि कोविड ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है. इस त्रासदी ने इस सच्चाई को सामने ला दिया है कि स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में होना चाहिए. माले विधायक ने कहा कि जिला से लेकर पंचायत तक की स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने को लेकर आंदोलन सुरू हो चुका है, जो ठीक होने तक जारी रहेगा.

माले विधायक ने कहा कि लगातार बारिश की वजह से सिकटा, मझौलिया, नौतन, बैरिया, चनपटिया के भी दर्जनों पंचायतों के सैकड़ों गाव जलजमाव से घिरा हुआ है, एक गाँव से दुसरे गाँव बाजार से सम्पर्क टूटा हुआ है, वहा नाव तक की व्यवस्था सरकार नहीं कर सकीं, आज उप मुख्यमंत्री सह आपदा प्रबंधन मंत्री रेणु देवी ने उपरोक्त प्रखण्डो को बाढ़ से प्रभावित नहीं मानती है जैसा कि उपमुख्यमंत्री ने अखबारों में बयान दिया है, वही दूसरी तरफ धान का बिचड़ा सड़ गया है ऐसी स्थिति में दुबारा धान का बिचड़ा नहीं डाला जा सकता है. सरकार से मांग है कि विशेष व्यवस्था करके बिचड़ा लगाने का प्रबंध करे.

टिप्पणियाँ