बेतिया: शहर में एक नंबर के दो एम्बुलेंस चल रहे हैं || दर्जनों एम्बुलेंस खडे हैं कबाड में

ANCHOR-कोरोना काल में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहा हैं ऐसे में एम्बुलेंस को लेकर सुबे की सियासत गर्म हैं, लिहाजा पश्चिम चम्पारण जिले में एम्बुलेंस सेवा के नाम पर कैसे बंदरबांट किया जा रहा हैं और कैसे बड़ी लापरवाही बरती जा रही हैं जिसके कारण जंहा आम लोगो की परेशानी बढ़ गई हैं वहीं विभाग मूकदर्शक बना हुआ हैं और एम्बुलेंस की किल्लत से लोग हलकान हैं, आज आपको बताएगे कि कैसे सरकारी राशि से खरीदी गई एम्बुलेंस किस हाल में हैं।

एक रिपोर्ट

VO1-कोरोना के इस दौर में मरीजो को अस्पताल तक पहुंचने के लिए एम्बुलेंस की जरूरत महसूस हो रही हैं जिसको लेकर प्रशासन द्वारा प्रयास भी किए जा रहें हैं, लेकिन प्रशासन के नाक के नीचे हीं एम्बुलेंस के जरीए सरकारी राशि का बंदरबांट किया जा रहा हैं जंहा एक हीं नम्बर पर दो एम्बुलेंस चलाया जा रहा है(अभी पढ़़े) तो वहीं  विभाग की लापरवाही व उदासीनता के कारण कई ऐसे एम्बुलेंस हैं जो धूल फांक रहा हैं, गैरेज से लेकर सरकारी कार्यालय तक दर्जनो एम्बुलेंस खड़ी हैं।

कुछ ठीक हालत में हैं जिसे दुरूस्त कर चलवाया जा सकता हैं तो कुछ पुरी तरह जर्जर हो चुका हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी एम्बुलेंस हैं जिसका उदघाटन के इंतजार में खराब होकर सरकारी कार्यालय की शोभा बढ़ा रही हैं, जैसे समाहरणालय परिसर में खड़ी इस एम्बुलेंस को देखिए जिसे थरूहट विकास अभिकरण योजना से खरीदा तो गया लेकिन छः माह से जिला भविष्य निधि कार्यालय के बाहर खड़ी हैं और कार्यालय की शोभा बढ़ा रही हैं।

कुछ यैसा हीं हाल पथ निर्माण विभाग में भी देखने को मिला जंहा पिछले साल कोरोना काल में दो एम्बुलेंस तो दिया गया जिसमें एक एम्बुलेंस को पथ निर्माण विभाग ने जिला प्रशासन को दे दिया जबकि एक एम्बुलेंस कार्यालय में हीं खड़ी हैं।

आमतौर पर एक नंबर पर दो बसों या ट्रकों का परिचालन होते हुए पकड़ा गया हैं, लेकिन एक नंबर पर दो सरकारी एंबुलेंस का परिचालन होना अपने आप में चौंकाने वाली बात है, लेकिन ऐसा पश्चिम चंपारण जिले में संभव हुआ है यहां एक रजिस्ट्रेशन नंबर पर दो सरकारी एंबुलेंस का परिचालन किया जा रहा है, जिसमें BR01PF0915 नंबर की गाड़ी बरवत स्थित एक गैरेज में खड़ी है. जहां उसके इंजन पंप का कार्य किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ BR01PF0945 नंबर की एंबुलेंस के नंबर से छेड़छाड़ कर BR01PF0915 बनाकर चलाया जा रहा है. जो जीएमसीएच परिसर में खड़ी है, ऐसे में समझा जा सकता हैं कि इस तरह का कार्य कर कहीं ना कहीं एंबुलेंस परिचालन से जुड़े पदाधिकारी सरकारी राजस्व का बंदरबांट कर रहे हैं. ठप पड़े एंबुलेंस को भी कागजों में चलता हुआ दिखाया जा रहा है. बिना नंबर की गाड़ियों की किस आधार पर गैरेज से बिल बनवा ली जा रही है यह जांच का विषय है।

बेतिया: शहर में एक नंबर के दो एम्बुलेंस चल रहे हैं || दर्जनों एम्बुलेंस खडे हैं कबाड में
पहली एंबुलेंस


दूसरी एंबुलेंस


वर्तमान में जिले में एडवांस लाईफ स्पोर्ट की 2 एम्बुलेंस आन रोड हैं जबकि बेसिक लाईफ स्पोर्ट की 34 एम्बुलेंस आन रोड हैं, वहीं विभाग संविदा पर लेकर 10 एम्बुलेंस चलवा रही हैं जबकि जिले में 22 नीजि एम्बुलेंस चल रहें हैं, वहीं एक मात्र शव वाहन जिले में संचालित किया जा रहा हैं।

आपको बता दें कि शहर के

छावनी में-5,बेतिया ब्लाक परिसर में-2,चेक पोस्ट स्थित गैरेज में-3,अस्पताल के हलवे वार्ड में-3,बरवत स्थित गैरेज में-2 और शव वाहन-1,पथ निर्माण विभाग में-1,समाहरणालय परिसर में-2 एम्बुलेंस खड़ी मिली जिसमें से कुछ कबाड़ हो चुके थे तो कुछ एम्बुलेंस को ठीक कर चलवाया जा सकता हैं।

ऐसे में सवाल हैं कि नगर के छावनी, सुप्रिया रोड, चेक पोस्ट, बरवत के साथ-साथ प्रखंड कार्यालय व मेडिकल कालेज परिसर में दर्जनों ऐसे एंबुलेंस खड़े हैं, जो या तो कबाड़ बन चुके हैं या कबाड़ बनने की कगार पर हैं तो फिर उन  एंबुलेंसों के नंबर प्लेट के साथ छेड़छाड़ क्यों किया जाता है। जो एंबुलेंस रिजेक्ट हो चुके हैं उनके ऊपर उक्त एंबुलेंस के नंबर के साथ पेंट के माध्यम से रिजेक्ट क्यों नहीं लिख दिया जाता, लॉकडाउन या उसके पहले समय-समय पर गाड़ियों की जांच की जाती है जिसमें आम पब्लिक की गाड़ी को छोटी सी त्रुटि पर भी जुर्माना भरना पड़ता है, ऐसे में सरकारी एंबुलेंसों पर नंबर ना रहने के एवज में प्रशासन ने क्या कभी फाईन की वसूली की है, सर्विस सेंटर या गेराज में जाने के साथ ही एंबुलेंसों पर से नंबर प्लेट हटा दिए जाते हैं. ऐसे में गाड़ी की बिलिंग मैकेनिक किस आधार पर करते है.

ऐसे कई सवाल हैं जो विभाग की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा करता है.

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