अस्पताल की स्थिति सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया रोज बता रहे हैं नो बेड और नो एडमिशन ट्विटर आदि पर सबके सामने है, GMCH का यह सच हैै, भले ही ऑक्सीजन की कमी नहीं हो, लेकिन हफ्ते भर से मरीजों की भर्ती GMCH में नहीं की जा रही है. आज ही दिन में एंबुलेंस चालक की मौत को लेकर हंगामा बना रहा.
ऑटो रिक्शा में मृत एंबुलेंस ड्राइवर |
पत्रकारों के सामने आज लोग कंधे पर मरीजों को ले गए लेकिन उन्हें वापस लौटाने का काम जारी रहा, जितने हेल्पलाइन नंबर थे सब पर कॉल किया गया सिर्फ़ सीएस ने रिस्पॉन्ड किया और सही रहनुमाई की.
होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए कई सामाजिक संस्थाओं के पास सिलेंडर में ऑक्सीजन रिफिलिंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण वे सामाजिक संस्थाएं अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. यह अजीब संकट की घड़ी आ गई है GMCH में जगह नहीं, प्राइवेट में भर्ती नहीं, घरेलू मरीजों को भी ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है. आज की ताजा खबर हैै, कोई व्यवस्था रीफीलिंग की होती तो कई लोगों को ऑक्सीजन मिल जाता। हालात दिन पर दिन बेकाबू होता जा रहा हैै
आज संसाधन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं, परिजन संक्रमित मरीजो को लेकर अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं.
अस्पताल में नो बेड नो रूम का स्टिकर लगा हुआ है मारिजो को तो जल्दी ऑक्सिजन तक नही मिल रहा है, आज की स्तिथि तो सबसे ज्यादा ही खराब है, एक महिला की स्तिथि इतनी खराब थी उसको एडमिट तक नही किया गया। सिविल सर्जन के आदेश पर एडमिट लिया गया है, सोशल वर्कर कुछ सिलेंडर का इंतजाम करके रखे हैं, लेकिन उन्हे गैस नही मिल रहा है।
शहर में बहुत से सोशल वर्कर कार्य कर रहे हैं।हालात बेकाबू होता जा रहा है, यही हाल सरकारी 102 एम्बुलेंस चालक का भी हुआ।कोविड संक्रमित होने के बावजूद सही इलाज नही मिल सका और उसने दम तोड़ दिया।यही अच्छे दिन के संकेत है।
आज की इस विकट परिस्थिति हम सब एक साथ मिलकर इंसानियत और मानवताा के लिए ज्यादा से ज्यादा मदद को आगे आएं और बढ़ चढ़़कर काम करें
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