"फासीवादी मुहिम का विरोध करो" - रवीन्द्र कुमार "रवि"
स्थानीय जगजीवन नगर स्थित बुद्ध विहार में बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर की 130 वीं जयंती मनायी गयी।उक्त अवसर पर भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य सुनील यादव और जिला नेता रविंद्र कुमार रवि ने कहा कि भीमराव अम्बेडकर देश के शोषित, उत्पीड़ित लोगों की आजादी के सपनो के नायक थे। हम उन्हें संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं। नेताद्वय ने कहा कि आज हम एक ऐसी सरकार का सामना कर रहे हैं जो आदतन संसदीय लोकतंत्र की संस्थाओं का उल्लंघन करते हुए, काम करना पसंद करती है। बिहार में जदयू-भाजपा की सरकार ने विगत विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी माननीय विधायकों को पुलिस द्वारा घसिटते हुए बाहर निकालने और फिर लात-घूसों से उनकी बर्बर पिटाई कर विपक्ष विहीन सदन में पुलिस के बल पर नया पुलिस बिल-बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बिल पास कर लिया है। अब पुलिस को यह अधिकार होगा कि बिना किसी मुकदमा के जब चाहे गिरफ्तार कर सकतीं है। इस प्रकार के कानूनों का इस्तेमाल हमेशा गरीबों, न्याय के पक्ष में आवाज उठाने वाले छात्र- नौजवानों व समाजिक कार्यकर्ताओ के खिलाफ होते आया है। नेताओं ने बताया की इस प्रकार संविधान में आजादी के दिये गये कई मौलिक अधिकारों परआजआरएसएस-भाजपा की मोदी सरकार तीखे व क्रूर हमले कर रही है। अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार पर राजनीतिक हमला किया जा रहा है। मनुवादी चिन्तन से ग्रसित और देशी-विदेशी कारपोरेट के हितों को पूरा करने के लिए समर्पितआरएसएस-भाजपा सरकार, ऐसे में भी गरीबों की तमाम सुविधाओं पर हमले कर रही है।जिस तरह राजा-महाराजाओं और अंग्रेज़ों द्वारा
किसानों से जमीन व जीविका के साधनों से वंचति कर, उन्हें कमजोर और दरिद्रता की श्रेणी में ढ़केला गया, दलित बनाया गया और छुआछूत का शिकार बनाया गया। आज उसी तरह ये तीनों कृषि कानून जमीन वाले किसानों के लिए खतरा बन गए हैं। नेताद्वय ने बताया कि
अंबेडकर साहब ने कहा था कि अपनी संस्थाओं को किसी महान व्यक्ति के कदमों तले सुपुर्द ना कर दें एवं उन पर भरोसा करके उनको ऐसी शक्तियां न दें, जो संस्थाओं का विनाश करने में सक्षम हो जाए। अंबेडकर साहब ने हमें याद दिलाया था कि यह चेतावनी किसी अन्य देश के मुकाबले भारत के मामले में कहना जरूरी हैं। भारत में भक्ति या जिसे कहा जा सकता है धर्म निष्ठा या नायक पूजा का पंथ, वह राजनीति में जितना ज्यादा मात्रा में अपनी भूमिका निभाता है, उतना दुनिया के किसी भी देश की राजनीति में नहीं निभाई जाती है।अंबेडकर साहब के अनुसार धर्म में भक्ति आत्मा की मुक्ति का रास्ता हो सकती है, लेकिन राजनीति के क्षेत्र में उन्होंने सही तौर पर हमें चेतावनी दी थी कि भक्ति या नायक पूजा पतन का और अंततः तानाशाही में पहुंच जाने का रास्ता है। हमें देखना है कि किस तरह नायक पूजा ने भारत में 1970 के दशक के मध्य में इमरजेंसी की शक्ल में आपदा ला दी थी, आज वही पूजा प्रथा एक बार फिर नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द खतरनाक ढंग से पनप चुकीं है। आज जब भारत में संवैधानिक लोकतंत्र अम्बेडकर के जमाने से लेकर अपने सबसे अंधकारपूर्ण मोड़ पर पहुँच चुका है। नेता द्वय ने कहा कि हर मोर्चे पर फासीवादी आक्रमण का प्रतिरोध करने के लिए सशक्त लड़ाकू गठजोड़ कायम करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह मुद्दा मौजूदा राज को महज चुनाव के जरिए गद्दी से बेदखल करने का नहीं है, बल्कि भारत का स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व के आधार पर पुनर्निर्माण करने का है। जिसका सपना अंबेडकर साहब ने देखा था, अंबेडकर ने संवैधानिक लोकतंत्र में अंतर्निहित जिन अंतविरोधियों को बहुत सही तौर पर चिन्हित किया था, जो आज राष्ट्र को अपनी संकट की मौजूदा स्थिति में डाल दिया है। संघ- भाजपा फासीवादी शक्तियां चाहती हैं कि यह संकट और बढे़ तो उनका वे अपने कारपोरेट - सांप्रदायिक एजेंडा को थोपने में पूरी तरह से इस्तेमाल कर सकें। इस फासीवादी चुनौती पर जीत हासिल करने का अर्थ है इस संकट का एक प्रगतिशील और जोरदार लोकतांत्रिक समाधान को हासिल करना,भारत की सच्चे लोकतांत्रिक आधार पर पुनर्कल्पना और पुनर्निर्माण के इस कार्यभार को पूरा करने में अंबेडकर की आमूल परिवर्तन हमारे लिए स्पष्टता और शक्ति हासिल करने का बहुमूल्य स्रोत हैं।आइये, इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाएं और डा0 अम्बेडकर के सपनों को साकार करें। मौके पर गायत्री देवी,शोभा देवी, मोहम्मद बदरुद्दीन, सुनीता देवी कृपा जी, पुष्पा देवी, मोहम्मद संजारे अहमद, बच्चा राउत,जयनारायण राउत, रंजीता देवी,नागेंद्र साह आदि समाजसेवी उपस्थित थें।
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