अखिल भारतीय किसान सभा का 85वा स्थापना दिवस बेतिया में मनाया गया


अखिल भारतीय किसान सभा का 85वा स्थापना दिवस बेतिया में मनाया गया


अखिल भारतीय किसान सभा के स्थापना दिवस के अवसर पर आज बेतिया में राज देवढी स्थित तांगा स्टैंड में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के प्रतिमा के पास किसान सभा का झंडातोलन किया गया । झंडातोलन करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि आज ही के दिन 1936 में लखनऊ में किसान सभा का प्रथम सम्मेलन आयोजित हुआ था । जिसकी अध्यक्षता स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किया था । तब से किसान सभा अपने संघर्ष और संगठन के बल पर लंबी ऊंचाई तक पहुंचते हुए दुनिया के किसानों का सबसे बड़ा दूसरा संगठन है। 

अपने 85 साल के सांगठनिक जीवन में हैदराबाद निजाम के विरुद्ध आन्दोलन, पश्चिम बंगाल का तेभगा आन्दोलन, महाराष्ट्र का वरली आदिवासी विद्रोह जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया है। आज जिस तरीके से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी 3 काला कानून के खिलाफ में दिल्ली के सभी बॉर्डर पर पिछले साढे 4 महीने से किसान धरना दे रहे हैं। जो संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहा है। अखिल भारतीय किसान सभा का उसमें महत्वपूर्ण भूमिका है । आज किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त हो, स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा को लागू किया जाए । और फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम किसानों को मिले । इस लड़ाई को आगे बढ़ाया जा रहा था । तब तक मोदी सरकार ने देश की सारी सार्वजनिक संस्थाओं की संपत्तियों को बेचकर अब किसानों की जमीन को भी कॉर्पोरेट के हाथ दे देना चाहती है । ऐसी स्थिति में किसान सभा किसानों की जमीन किसानों के पास रहे और न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को मिलता रहे इस लड़ाई को अपने हाथ में लिया हम देख रहे हैं कि आज किसान सभा देश के सभी राज्यों में किसान संघर्ष को आगे बढ़ाया है । 

महाराष्ट्र में नासिक से 200 किलोमीटर चलकर मुंबई तक 1 लाख किसानों का काफिला जब पहुंचा था, तो देश नहीं पूरी दुनिया के लिए वह मिसाल था राजस्थान में 13 दिनों तक सारे आवागमन किसानों ने बंद कर दिया था और किसान आंदोलन को हर तबके का समर्थन मिल रहा था, तो वसुंधरा राजे की सरकार हिल गई थी और 1:00 बजे रात्रि में कॉमरेड अमराराम को बुलाकर वार्ता करनी पड़ी थी। हम कहना चाहते हैं कि आज के दिन हमें शपथ लेना है कि जब तक किसान विरोधी तीनों काले कानूनों की वापसी नहीं होती और एमएसपी को कानूनी दर्जा नहीं दिया जाता । तब तक किसान सभा इस आंदोलन को लड़ती रहेगी । 

आज बिहार में हम भूमि सुधार के साथ-साथ जमीन पर पर्चाधारियों को कब्जा मिले और भूमिहीनों को वासगित जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें सफलता भी मिल रही लेकिन हमें अपने संगठन को मजबूत करना होगा । तभी हम गरीबों, भूमिहीनों, खेतिहर मजदूरों के अधिकारों को संघर्ष के बल पर दिला सकते हैं । इसलिए आज के दिन हमें संकल्प लेना है कि हम किसान सभा का पश्चिम चंपारण जिले में गांव गांव तक विस्तार करेंगे । स्थानीय किसानों के सवालों को लेकर संघर्ष करेंगे और इस आधार पर मुख्य संघर्ष में किसानों को शामिल करेंगे । 

आज के इस स्थापना दिवस के समारोह में पश्चिम चंपारण जिला किसान सभा के जिला मंत्री चांदसी प्रसाद यादव, सी आई टी यू के जिला मंत्री शंकर कुमार राव , ई रिक्शा चालक संघ के सचिव नीरज बरनवाल , भारत की जनवादी नौजवान सभा के जिला सचिव मोहम्मद हनीफ , बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला सचिव प्रभु नाथ गुप्ता, तांगा चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रकाश वर्मा, नौजवान नेता सुशील श्रीवास्तव, लालबाबू प्रसाद, आदि लोगों ने अपने विचारों को रखा।

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